दोस्तों इंडिया में कमर्शियल बैंक्स, ब्रोडली थ्री कैटेगरी में डिवाइड होते हैं। भारत में बैंक खातों के प्रकार पब्लिक और नैशनलाइज बैंक्स जैसे एसबीआइ, पीएनबी, सीबीआई, एट्सेटरा प्राइवेट बैंक जैसे एचडीएफसी, ऐक्सिस बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड फॉरेन बैंक जैसे सिटीबैंक, एचएसबीसी इंडिया, आरबीएस, एट्सेटरा इन तीनों कैटेगरी के बैंक इंडिया में हमें बैंक अकाउंट खुलवाने का ऑप्शन देते हैं, भारत में बैंक खातों के प्रकार । Types of Bank Accounts in India (code : 004) जो बैंक अकाउंट से ऑफर करते हैं वो भी कही टाइप के होते हैं। जैसे करेंट अकाउंट सेविंग्स अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट, रेकरिंग डिपॉजिट अकाउंट। सैलरी अकाउंट, नारी अकाउंट एट्सेटरा इन डिफरेंट बैंक अकाउंट्स के अलग अलग बेनिफिटस और लिमिटेशंस होते हैं, जिसके बारे में हमें बेसिक नॉलेज होनी चाहिए तो ये एक एक करके इनके बारे में बात करते हैं।
• खातों के प्रकार क्या है?
• बैंक में कितने खाते होते हैं?
• टैली में खाते कितने प्रकार के होते हैं?
करेंट अकाउंट
सबसे पहले करेंट अकाउंट करेंट अकाउंट से ज्यादातर बिज़नेस अकाउंट्स होते हैं, जहाँ फाइनैंशल अकाउंट्स के बीच में फ्रिक्वेंटली मनी ट्रांसफर किया जाता है। ये अकाउंट्स कॉर्पोरेट और बिज़नेस होना इसके लिए अपनी बिज़नेस ऐक्टिविटीज़ की ट्रांजैक्शन के लिए बेस्ट होते हैं क्योंकि इन अकाउंट्स की ना ही कोई मैक्सिमम अमाउंट होल्ड करने की लिमिट होती है और ना ही मंथ्ली या फिर डेली नम्बर ऑफ ट्रांजेक्शन की कोई लिमिट होती है।
हाँ, लेकिन एकाउंट्स की दूसरे अकाउंट से कम्पेरिज़न में मिनिमम बैलेंस मेनटेन रिक्वाइर्मन्ट थोड़ी सी हाई होती है और अगर बात की जाए इन्ट्रेस्ट की तो दोस्तों इस टाइप के अकाउंट में बैंक्स यूज़्वली को इन्ट्रेस्ट ऑफर नहीं करते।
हालांकि इन अकाउंट्स
हालांकि इन अकाउंट्स को किसी भी टाइम सेविंग्स अकाउंट में कन्वर्ट किया जा सकता है।
नेक्स्ट घर बात कर रहे है सेविंग्स अकाउंट की तो जैसा की नाम से ही पता चलता है। ये अकाउंट मनी को सेव करने के पर्पस के लिए होता है। ज्यादातर लोगों के पास बैंक में इसी टाइप का अकाउंट होता है। इस अकाउंट का मेन बेनिफिट होता है कि बैंक इसमें पैसा रखने के लिए अपने कस्टमर्स को कुछ इन्ट्रेस्ट पे करता है।
सेविंग्स अकाउंट
सेविंग्स अकाउंट में कस्टमर कितनी बार भी पैसा डिपॉजिट कर सकते हैं? उसके लिए कोई फीस चार्ज नहीं की जाती। लेकिन हाँ, अपने अकाउंट से पैसा विदड्रॉ करने के लिए कुछ रिस्ट्रिक्शन होती है। जैसे महीने में नम्बर ऑफ फ्री ट्रांजैक्शन की एक लिमिट होती है, उसके बाद बैंक पर ट्रान्ज़ैक्शन कुछ फीस चार्ज कर सकता है। सेविंग्स अकाउंट भी कई सारे टाइप के होते हैं। बेस्ड ऑन कस्टमर की एज बैंक अकाउंट खुलवाने के पर्पस एट्सेटरा जैसे रेगुलर सेविंग अकाउंट, ज़ीरो बैलेंस सेविंग अकाउंट, विमन सेविंग्स अकाउंट, किड्स सेविंग्स अकाउंट, सीनियर सिटिजन सेविंग्स अकाउंट, फैमिली सेविंग्स अकाउंट एट्सेटरा इनमें से ज्यादातर सेविंग्स अकाउंट में बैंक्स कस्टमर से कुछ मिनिमम बैलेंस मेनटेन एक्सपेक्ट करते हैं।
सेविंग्स अकाउंट
और बात की जाए इन्ट्रेस्ट की तो बैंक सेविंग्स अकाउंट में तीन से लेकर 6% इन्ट्रेस्ट डिपेंडिंग ऑन द बैंक एन टाइप्स ऑफ सेविंग अकाउंट अपने कस्टमर को ऑफर करते हैं।
फाइव मनी
दोस्तों, मैं आपको बताना चाहता हूँ। फाइव मनी के बारे में जो है आपके पैसे को सेव करने का बेहतरीन तरीका फाइव मनी एक फाइनैंशल ऐप हैं जो बिल्डिंग सेविंग्स अकाउंट के साथ आता है लेकिन विद कटिंग एज टेक्नोलॉजी फी मनी आपके लिए समाज को बनाता है। ईज़ ईयन फन ऐंड हेल्प करता है। आपके पैसे को ग्रो करने में और आपके फंड को सही तरीके से ऑर्गनाइज करने में।
इसमें आप स्मार्ट डिपॉजिट जॉर्ज ए लॉन्ग टर्म फिक्स्ड डिपॉजिट जॉर्ज में इन्वेस्ट कर सकते हैं, जिसमें आपको सेविंग्स अकाउंट से ज्यादा इंट्रेस्ट मिलता है। या फिर आप अपने गोल सेट करके इस सेपरेट जार में भी सेव कर सकते हैं। अनफिट रूल्स के साथ सेविंग को इन्क्रीज़ भी कर सकते हैं और रेग्युलर पेमेंट्स पे आपको कैश रिवॉर्ड सैन फाइव कोर्स भी मिलते हैं। इसमें आपको डेबिट कार्ड भी मिलता है जिसे यूज़ करने पे आपको कूल ऑफर्स मिलते हैं। ऑन ऐमज़ॉन, मिंत्रा, जोमैटो एंड मेनी मोर ब्रैन्डस इसमें इंटर नेशनल पेमेंट्स पे आपको कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लगेगा और एक और इम्पोर्टेन्ट चीज़ की आपका कार्ड पूरी तरह से आपके कंट्रोल में रहता है।
विद्वान टाइप आप कार्ड को फ्री सैनन फ्रीज़ कर सकते हैं। बात करे सेफ्टी की तो फाइव मनी बैंकिंग पार्टनर है फेडरल बैंक जो आरबीआई गाइडलाइंस के सारे सिक्योरिटी स्टैंडर्ड को फॉलो करता है और आपका पैसा इन्शुर्ड भी रहता है तो है ना? ऑल इन वन हैव टु इन्क्रीज़ ओर से विन्डोज़ आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं। लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा।
फिक्स्ड डिपॉजिट
अब बात करें आगे फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी अकाउंट की। तो ये अकाउंट से एक फिक्स्ड अमाउंट पे फिक्स टाइम पीरियड के लिए करने के लिए बनाए जाते हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट आइडल मनी पे इन्ट्रेस्ट टर्न करने के लिए वन ऑफ थे। मोस्ट से फर्स्ट ऑप्शन में से एक माना जाता है।
एफबी यूज़ करने की कोई फिक्स लिमिट नहीं होती। किसी भी अमाउंट तक की एफडी कराई जा सकती है। एक एफडी मिनिमम से वनडे से लेकर मैक्सिमम 10 इयर्स तक के लिए कराई जा सकती है। फब शुरू करने के लिए कस्टमर द्वारा अपने अकॉर्डिंग एक फिक्स टाइम पीरियड के लिए एक फिक्स्ड अमाउंट बैंक में जमा कर दी जाती है, जिसके बदले बैंक उन्हें रिसीव देता है। अब मैच्योरिटी पूरी होने के बाद कस्टमर वो रिसीप्ट लेके बैंक के पास वापस जाता है। फिर बैंक उन्हें उनके प्रिंसिपल अमाउंट के साथ प्लस इन्ट्रेस्ट पे करता है। ये इंट्रेस्ट रेट सेविंग अकाउंट में मिलने वाले इंट्रेस्ट रेट से हाइर होता है।
अगर इन केस कस्टमर मैच्योरिटी पेड़ पूरा होने से पहले अपनी एफडी तोड़कर अपना पैसा निकलवाना चाहते हैं तो बैंको ने सिर्फ उनके द्वारा जमा किया गया प्रिंसिपल अमाउंट पे करता है। हालांकि कुछ बैंक्स प्री मैच्योर मैच्योरिटी पे कुछ इन्ट्रेस्ट भी ऑफर करते हैं लेकिन वो इंट्रेस्ट रेट एफडी के इन्ट्रेस्ट इसे काफी कम होता है। वैसे आजकल ये प्रोसेसर भी पूरी तरह ऑनलाइन हो गया है। अब घर बैठे भी ऑनलाइन आपकी बैंक की वेबसाइट से एफबी वगैरह कर सकते हैं। को इंडिया में वन ऑफ थे। मोस्ट रिस्क इन्वेस्टमेंट के रूप में देखा जाता है। इसलिए ज्यादातर लोग अपने पैसे को एफडी की फर्म में ही इन्वेस्ट करते हैं।
रिकरिंग डिपॉजिट
नेक्स्ट बात करें अगर रिकरिंग डिपॉजिट यानी आरडी अकाउंट की तो ये भी फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह होता है। इसमें बस ये डिफरेन्स होता है की इसमें कस्टमर द्वारा अमाउंट को शुरू में एक साथ डिपॉजिट नहीं किया जाता। उसे कस्टमर इन्सटॉलमेंट में डिपॉजिट करता है। एक बैंक में आरडी शुरू करने के बाद इन्सटॉलमेंट अमाउंट कस्टमर के बैंक अकाउंट से उनकी मर्जी के अनुसार मंथ्ली इन हर महीने या फिर क्वार्टरली यानी हर तीन महीने के बाद अपने आप करती रहती है। एक मिनिमम सिक्स मंथ्स से लेकर मैक्सिमम 10 इयर्स के लिए कराई जा सकती है। एक बार शुरू करने के बाद कस्टमर ना ही आर डी का फिक्स्ड नो चेंज कर सकता है और ना ही इन्सटॉलमेंट की फिक्स्ड अमाउंट। इस केस में भी अगर कस्टमर अपना पैसा मैच्योरिटी पेड़ से पहले निकलवाना चाहते हैं तो बैंक से अपनी टर्म्स ऐंड कंडिशन्स लागू करता है।
सैलरी अकाउंट
नेक्स्ट अगर बात करे सैलरी अकाउंट की तो जैसा कि नाम से ही पता चलता है, ये सैलरी अकाउंट वो अकाउंट होते हैं जिनमें इम्प्लॉयर अपने एंप्लॉयीज की सैलरी डालता है। इम्प्लॉयर यानी की कंपनी किसी एक बैंक के साथ टाइअप करके अपने सभी एम्प्लॉई इसके लिए उस बैंक में अकाउंट खुलवा आती है। इसे एक टाइप का सेविंग्स अकाउंट भी कहा जा सकता है जिसमें बैंक्स यूज़्वली कोई इन्ट्रेस्ट ऑफर नहीं करते। सैलरी अकाउंट जीरो बैलेंस अकाउंट्स होते हैं क्योंकि इसमें से एम्प्लॉईस अपनी पूरी सैलरी का पैसा निकाल या दूसरी जगह ट्रांसफर कर सकते हैं।
एनआरआइ अकाउंट्स
लास्ट हमारी लिस्ट में बात कर रहे एनआरआइ अकाउंट्स की तो इन्हें ओवर्सीस अकाउन्ट्स भी कहा जाता है। ये अकाउंट्स इंडियन्स या ज्यादातर विदेश में रहने वाले इंडियन ओरिजिन के लोगों द्वारा खुलवाए जाते हैं। ये तीन टाइप के होते हैं नारों नारी ऐफ़ सी एन आर नरो यानी नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी सेविंग अकाउंट और एफडी अकाउंट। ये रूपी वाले अकाउंट्स होते हैं। इनमें जब नारा इस यूज़्वली फॉरेन करेंसी में अपना पैसा डिपॉजिट करते हैं तो वो ऑटोमेटिकली एक्स्चेंज रेट के अकॉर्डिंग आइ एन आर यानी इंडियन रूपी में कन्वर्ट हो जाता है।
एनआरआइ अपने इंडिया और इंडिया से बाहर कमाए गए सारे पैसे नारों बैंक अकाउंट में रख सकते हैं इन अकाउंट्स पे इन्ट्रेस्ट की फर्म में जो इनका मन की जाती है वो टैक्सेबल होती है नेक्स्ट नारी यानी नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल सेविंग अकाउंट और एफडी अकाउंट डिपॉजिट अकाउंट्स भी नारा अकाउंट्स की तरह ही होते है।
Project code : 004



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