सुबह से शाम तक हेल्दी खाना खाना, स्वस्थ भोजन के लिए रणनीतियाँ ,अच्छे से चबाकर खाना, एक्सरसाइज करना, योगा करना, वॉक करना वाउ कितनी सही जिंदगी होती है ना जब हम कुछ ऐसा रुटीन फॉलो करते हैं और हमें लगता है कि जिंदगी भर बस ऐसे ही रहेंगे, लेकिन अचानक एक गैप के बाद कुछ दिनों के बाद फिर से मन करता है जंक फूड खाने का, एक्सर्साइज़ को छोड़ देने का वॉक पर नहीं जाने का। लेकिन बात ऐसी है कि कोशिश हम जरूर करते हैं, हर बार करते हैं, बार बार करते हैं। तो भाई बात ऐसी है कि जिन्हें पता है कि उनकी लाइफ स्टाइल अनहेलथी है और वो इससे परेशान हैं। जो एफर्ट्स लगाकर अपनी अनहेल्थी लाइफस्टाइल को हेल्थी बनाना चाहते हैं और जानते हैं कि हमारी ईटिंग हैबिट्स का इसमें बहुत बड़ा रोल होता है तो आज का ये ब्लॉग उन्हीं लोगों के लिए है। तो अगर आप भी ऐसा ही चाहते हैं कि आपको हेल्थी टीम की स्ट्रैटिजी पता चल सके और आपकी जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा बेहतर बन सके तो आप इस ब्लॉग में हमारे साथ आगे जरूर आइयेगा और हाँ, ब्लॉग को लास्ट तक देखिएगा ताकि कुछ भी इम्पोर्टेन्ट बात मिस ना हो सके। तो चलिए शुरू करते हैं और वन बाइ वन। जानते हैं हेल्दी ईटिंग की 17 स्ट्रैटिजीज के बारे में।
ब्रेकफास्ट स्किप
नंबर एक पर है ब्रेकफास्ट स्किप करने का सोचना ही नहीं है। माना लाइफ बहुत फास्ट स्पीड से भाग रही है और टाइम की कमी की वजह से आप नाश्ता स्किप करना सही समझते हैं। लेकिन ऐसा ना करें क्योंकि नाश्ता करना बहुत ज़रूरी होता है और वो भी ऐसा जिसमें फाइबर ज्यादा हो और फैट, शुगर और सॉल्ट काफी कम हो। यानी हेल्थी नाश्ता ऐसा नाश्ता अच्छी सेहत के लिए न्यूट्रिअन्ट्स प्रोवाइड कराएगा और इससे आपका वजन भी नहीं बढ़ेगा।
जिसके लिए आप हमेशा टेंशन में रहते हैं।
छोटी प्लेट में खाना
नंबर दो पर है छोटी प्लेट में खाना शुरू करना। हो सकता है कि आपको खाना बहुत पसंद हो और आप बड़ी से बड़ी प्लेट में भर कर खाना ले आते हैं और खा लेने के बाद सोचते हैं कि मुझे तो हेल्थी वेट मेनटेन करना था। ऐसे तो मेरा वजन बढ़ता चला जाएगा। अब इस प्रॉब्लम का क्या सलूशन है? बहुत आसान सा सल्यूशन है, छोटी प्लेट चूज करे। बड़ी प्लेट में खाना कम दिखाई देता है, इसलिए हम उसे भरते चले जाते हैं।
इससे बचना है तो आराम से खाइए, लेकिन छोटी प्लेट से जिसमें आपको खाना ज्यादा दिखाई देगा और खाने के बाद आपको सैटिस्फैक्शन भी मिलेगा कि आपका पेट भर गया है। ऐसा करके आप आराम से खा भी लेंगे और अपने ब्रेन को यह मैसेज भी दे देंगे कि आप का पेट भर गया है जिससे नेक्सट मील में आपको ओवर ईटिंग की जरूरत नहीं लगे गी और आपका हेल्ती वेट आसानी से मेनटेन रह पायेगा।
खाने में जल्दबाजी क्यों?
नंबर तीन पर है। खाने में जल्दबाजी क्यों? अगर आप बीज़ी रहते है तो गॉसिप ऐसे थोड़ा सा टाइम कट कर लीजिये। मनोरंजक में से भी आप थोड़ा सा टाइम कट कर सकते हैं। लेकिन खाना खाने के टाइम में से कोई टाइम कट नहीं करना है क्योंकि खाना एकदम फुर्सत से खाना है। धीरे धीरे चबा चबा कर ये बात आपने बहुत बार सुनी भी होगी लेकिन अब तो मान ही लीजिये क्योंकि बहुत सारी स्टडीज़ के अकॉर्डिंग पास ट्वीटर्स ज्यादा खाते हैं और स्लो ईटर्स कंपैरटिव्ली कम खाते है और सैटिस्फाइड फील करते हैं। जवाब चबाकर खाने से ओवरईटिंग से बचाव होता है जिससे ओबेसिटी
हो जाता है और खाने को डाइजेस्ट करना भी बहुत आसान हो जाता है, जिससे पेट खुश रहता है और अगर पेट खुश तो हेल्थ का अच्छा होना तो पक्का ही है।
मीठा बोलो पर खाने में मीठा कम ही रखो।
नंबर चार पर है मीठा बोलो पर खाने में मीठा कम ही रखो। आज कल सब शुगरी फूड्स और ड्रिंक्स को बहुत इंजॉय करने लगे हैं, लेकिन हमें पता ही नहीं की ईज़ अली मिलने वाली ड्रिंक्स और फूड आइटम्स जैसे स्वीट्स इन चॉकलेट्स हमारा कितना लॉस कर रहे हैं। इनसे वेट गेन बहुत तेजी से होता है और इनसे हमें कोई न्यूट्रिशन नहीं मिलता।
इसलिए ऐसे फूड आइटम्स का क्रेज छोड़ना होगा और डेली फूड में यूज़ किये जाने वाली शुगर की क्वांटिटी भी कम करनी होगी। इसकी जगह जहाँ जहाँ गुड़ और शहद का यूज़ हो सके वो भी किया जा सकता है और क्वांटिटी तो उनकी भी बैलेंस रखनी ही होगी। हाँ, लेकिन मीठा बोलने के लिए आपको इतने सारे हिसाब किताब नहीं लगाने पड़ेंगे। है ना अच्छी बात?
सॉल्ट कम खाना
आगे नंबर पांच पर है सॉल्ट कम खाना आप जानते हैं कि ज्यादा सॉल्ट ब्लड प्रेशर को हाई कर सकता है और हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिज़ीज़ और स्ट्रोक को बहुत जल्दी अट्रैक्ट करता है। हमें दिन में छह ग्राम यानी लगभग 130 जितना सॉल्ट ही खाना चाहिए। इसलिए अगर आप ज्यादा खाते हैं तो धीरे धीरे ही सही, हर दिन के साथ सॉल्ट कॉन्सेप्शन कम करते जाइए।
सैचुरेटेड फैट
नंबर छे पर है सैचुरेटेड फैट से दोस्ती नहीं करनी है। हमारी डाइट में हमें थोड़ी क्वांटिटी सैचुरेटेड फैट की चाहिए तो होती है लेकिन कितना अमाउंट चाहिए और ये फैट गुड है या बैड इसके बारे में अवेयर होने की जरूरत है। फैट मेनली दो टाइप्स के होते हैं। सैचुरेटेड और अनसैचुरेटेड।
तो अनसैचुरेटेड वर्ड्स बेनेफिशिअल होते है, बहुत सारा फायदा देते हैं जबकि ज़्यादा सैचुरेटेड फैट खाने से ब्लड में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है जिससे हार्ट डिजीज का रिस्क हाई होता है। इसलिए मेल्स को 1 दिन में 30 ग्राम से ज्यादा सैचुरेटेड फैट नहीं लेना चाहिए और फीमेल्स को 20 ग्राम से ज्यादा नहीं लेना चाहिये। बर्गर्स पिज़्ज़ा, म्योनीज़ बटर चीज़, डीप फ्राइड फूड्स और केक्स में सैचुरेटेड फैट्स बहुत ज्यादा होता है। आई नो, आपको ये सब बहुत पसंद होगा। सॉरी बट ये तो कम करना ही पड़ेगा, कोई उपाय नहीं है।
हेल्थी ऑइल चूज
नंबर सात पर है हेल्थी ऑइल चूज करना। ऑइल और फूड का कनेक्शन तो हम सब जानते हैं, लेकिन कनेक्शन सही होना भी तो जरूरी है। इसलिए अगर रिफाइन्ड ऑइल खाते हैं तो इसे किचन से बाहर का रास्ता दिखाने की अभी की अभी जरूरत है और उसकी जगह हेल्थी कोल्ड प्रेस्ड ऑइल जैसे मस्टर्ड ऑइल, सीसेम ऑइल, कोकोनट ऑइल और ग्राउंडनट ऑयल का यूज़ करना शुरू कीजिए। ऑइल भी अच्छी चॉइस है, लेकिन यह थोड़ा ज्यादा महंगा होने के साथ
इंडियन कुकिंग के लिए ज्यादा सूटेबल नहीं है और अगर कोई हर तरह की कुकिंग के लिए पर्फेक्ट है तो वो है घी जो की आपको आसानी से मिल जायेगा, जिसे आप घर में भी बना सकते हैं।
फ्रूट्स को खाओ पीओ मत।
नंबर आठ पर आता है फ्रूट्स को खाओ पीओ मत।
फ्रूट जूसेस अच्छे लगते है ना और उन्हें पीकर बड़ी खुशी होती है कि हम हेल्थी फूड एन्जॉय कर रहे हैं लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि इसकी जगह आप फ्रेश फ्रूट्स को खाना प्रिफर करें तो क्या वाकई में आप इस बात को मानेंगे? हाँ, आपको ये बात माननी चाहिए क्योंकि फ्रूट में फाइबर और कई प्लांट कंपाउंड होते हैं। उनके नैचरल शुगर ब्लड शुगर लेवल्स को कोई मेजर हाइक नहीं देती है।
फ्रूट्स खाने से हार्ट डिज़ीज़, टाइप टू डायबिटीज़ और कैंसर जैसी हेल्थ कंडिशन्स का रिस्क भी काफी कम हो जाता है जबकि फ्रूट जूस पीने से एक फाइबर लॉस हो जाता है। दूसरा उसमें बहुत सारी शुगर ऐड कर दी जाती है जो ब्लड शुगर लेवल को तेजी से बढ़ा सकती है। अगर आप घर पर जूस बनाते हैं तो कभी कभी फ्रेश जूस ले सकते हैं। बिना फाइबर रिमूव किये लेकिन मार्केट के जूसेस तो हेल्थ देने की बजाय बिगाड़ ज्यादा देंगे। ये तो अब आप भी समझ ही जाइए।